Tuesday, July 8, 2014

पीपल वाली छाँव जहाँ ...

 ,

बिछड़ गये है सारे अपने
संग-साथ है नहीं यहाँ,
ढूँढ रहा मन पीपल छैंयाँ
ठंडी होती छाँव जहाँ.

छोड़ गाँव को, शहर आ गया
अपनी ही मनमानी से,
चकाचौंध में डूब गया था
छला गया, नादानी से
मृगतृष्णा की अंधी गलियाँ
कपट द्वेष का भाव यहाँ
दर्प दिखाती, तेज धूप में
झुलस गये है पाँव यहाँ,

सुबह-साँझ, एकाकी जीवन
पास नहीं है, हमजोली
छूट गए चौपालों के दिन
अपनों की मीठी बोली
भीड़ भरे, इस कठिन शहर में
खुली हवा की बाँह कहाँ

ढूंढ़ रहा मन फिर भी शीतल
पीपल वाली छाँव यहाँ।
--- २  जून - २०१४ 

25 comments:

  1. गुज़रते समय के साथ सब कुछ छूट जाता है यादों के सिवा ....
    मन के भाव लिख दिए आपने ...

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  2. प्रखर यादें ....निखारे भाव ....सुंदर अभिव्यक्ति शशि जी ...!!

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  3. बहुत सुंदर रचना.
    राजेंद्र मेहता,नीना मेहता के एक पुराने गीत की याद ताजा हो आई.........
    एक प्यारा सा गाँव
    जिसमें पीपल की छांव .....

    नई पोस्ट : अपेक्षाओं के बोझ तले सिसकता बचपन

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  4. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  5. ब्लॉग बुलेटिन आज की बुलेटिन, रेल बजट की कुछ खास बातें - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
    नई रचना मेरा जन्म !

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  8. ..सुंदर अभिव्यक्ति शशि जी

    सच कहती पंक्तियाँ .
    Recent Post …..दिन में फैली ख़ामोशी

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  9. कल 11/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  10. कितना कुछ खो दिया थोडा सा पाने को...बहुत मर्मस्पर्शी रचना..

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  11. मन के भाव लिख दिए आपने ...

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  13. आप सभी के स्नेह से अभिभूत हूँ , आप सबकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से आभार .

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  14. स्वागत है , खूबशूरत चित्र उकेरा है आप ने आज की भागमभाग जिंदगी की

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  15. कहने को भले ही यादें हो ,
    पर मन में अब भी ताज़ा हैं... सुन्दर भावाव्यक्ति

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  16. विगत स्म़तियों की गंध समेट सुन्दर कविता - पर अब वहाँ वैसा कुछ नहीं है !

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  17. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  18. वे दिन तो अब सिर्फ यादों में बाक़ी हैं...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  19. purani yaado ka jhonka baha diya .. bahut acchi kavita ji

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  20. purani yaado ka jhonka baha diya .. bahut acchi kavita ji

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